मूळ हिंदी गीतः साहिर लुधियानवी, संगीतः एन. दत्ता, गायकः महेंद्र कपूर, आशा
चित्रपटः धूल का फूल, सालः १९५९, भूमिकाः राजेंद्रकुमार, माला सिन्हा
मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २०२००९०९
धृ |
धड़कने लगे दिल के तारों की दुनियाँ |
आः |
स्पंदू लागते मनोरथांची ही दुनिया |
|
संवर जाये हम बेकरारों की दुनियाँ |
मः |
कशी सावरे बघ अधीराची दुनिया |
१ |
जो तुम मुस्कुरा दो बहारें हसे |
मः |
जर तू स्मित करशी, बहार हासते ही |
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जो तुम मुस्कुरा दो नज़ारें हसे |
आः |
जर तू स्मित करशी, दृश्यही हासताती |
२ |
हवा में ये खुश्बू की अंगड़ाईयाँ |
मः |
हवेतही सुगंधाची वलये का उठती |
|
ये मस्ती के धारें उबलते हुये |
आः |
ह्या मस्तीच्या लहरी अशा का उसळती |
३ |
ये बोझल घटायें बरसती हुई |
मः |
ही अवजड निशाही जणू वर्षते |
|
ये साँसों से शोले निकलते हुये |
आः |
हे श्वासांतुन सुटते निखारे असे |
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काय नुसते वाचता प्रतिसाद द्या
हातची राखून द्या पण दाद द्या
आंधळ्यांची दिव्यदृष्टी व्हा तुम्ही
अन् मुक्यांना नेमके संवाद द्या
जीव कासावीस झाला आमुचा
मूळचे नाही तरी अनुवाद द्या
कालची आश्वासने गेली कुठे?
ते पुन्हा येतील त्यांना याद द्या
वेगळे काही कशाला ऐकवा?
त्याच त्या कविताच सालाबाद द्या
एवढा बहिरेपणा नाही बरा,
हाक कोणीही दिली तर साद द्या
गोरगरिबांना कशाला भाकरी?
गोरगरिबांना अता उन्माद द्या
व्हायचे सैतान हे डोके रिते,
त्यास काही छंद लावा नाद द्या
- नामानिराळा, मनोगत डॉट कॉम २००५०६१४
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