२०२३-०१-०५

गीतानुवाद-२६६: दीवाना मस्ताना हुआ दिल

मूळ हिंदी गीतः मजरूह सुलतानपुरी, संगीतः सचिनदेव बर्मन, गायकः आशा, रफ़ी
चित्रपटः बंबई का बाबू, सालः १९६०, भूमिकाः देव आनंद, कल्पना कार्तिक 

मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २०२२१०३१


धृ

आआ आ आ..
प म ग म रे ग प म ग म
आआ आ ...
सा नी ध प म ग रे सा
नी नी नी ...
दीवाना, मस्ताना, हुआ दिल
जाने कहाँ होके बहार आई

आशा:

आआ आ आ..
प म ग म रे ग प म ग म
आआ आ ...
सा नी ध प म ग रे सा
नी नी नी ...
वेडेखुळे, खुळे, मन झाले
जाणे कुठुनशी बहार आली

तन को मेरे, छुए लट काली
छेड़े लहर, लहर मतवाली
बात कोई अन्जाना
दीवाना, मस्ताना, हुआ दिल
जाने कहाँ होके बहार आई

आशा:

स्पर्शे तनुस, तनुस लट काळी
वेधे लहर, लहर फिरणारी
गोष्ट अनोखी पहा ना
वेडेखुळे, खुळे, मन झाले
जाणे कुठुनशी बहार आली

ओ हो हो कुछ अनकही
कहे, मेरी चितवन
बोले जिया, लिखे मेरी धड़कन
एक नया अफसाना
ओ हो हो कुछ अनकही
कहे, मेरे चितवन
बोले जिया, लिखे मेरी धड़कन
एक नया अफ़साना

आशा:

नाही मुळी, मुळी बोललेली
बोले, माझी चाहूल
बोले मी अन्‌ लिहे माझे स्पंदन
किस्सा एक आगळासा
नाही मुळी, मुळी बोललेली
बोलते, माझी चाहूल
बोले मी अन्‌ लिहे माझे स्पंदन
किस्सा एक आगळासा

दीवाना, मस्ताना, हुआ दिल
जाने कहाँ होके बहार आई
ओ ओ ओओ
जाने कहाँ होके बहार आई
प म ग म रे ग प म ग म
आआ आ ...
सा नी ध प म ग रे सा
नी नी नी ...

रफ़ी:

वेडेखुळे, खुळे, मन झाले
जाणे कुठुनशी बहार आली
ओ ओ ओओ
जाणे कुठुनशी बहार आली
प म ग म रे ग प म ग म
आआ आ ...
सा नी ध प म ग रे सा
नी नी नी ...

ओ हो ओ सावन लगा
मचल गए बादल
देखूँ जिसे, हुआ वही पागल
सावन लगा, मचल गए बादल
देखूँ जिसे, हुआ वही पागल
कौन हुआ दीवाना ...
दीवाना, मस्ताना हुआ दिल
दीवाना मस्ताना हुआ दिल
जाने कहाँ होके बहार आई
आ आ आ ...
जाने कहाँ होके बहार आई
हो ओओ
जाने कहाँ होके बहार आई
आ आ आ
जाने कहाँ होके बहार आई

रफ़ी:

आशा:
फ़ी:
आशा:
रफ़ी:
आशा:
रफ़ी:
आशा:

रफ़ी:


आशा:

श्रावण आला
ढगच आले वाहत
पाहू ज्याला येई तोही खुळावत
श्रावण आला, ढगच आले वाहत
पाहू ज्याला झाला तोही पागल
कोण झाला यडापिसा ...
वेडेखुळे, खुळे, मन झाले
वेडेखुळे, खुळे, मन झाले
जाणे कुठुनशी बहार आली
आ आ आ ...
जाणे कुठुनशी बहार आली
हो ओओ
जाणे कुठुनशी बहार आली
आ आ आ ...
जाणे कुठुनशी बहार आली

२०२३-०१-०१

गीतानुवाद-२६५: मेरे देश की धरती

गीतकार: गुलशन बावरा,  संगीतकार: कल्याणजी आनंदजी,  गायक: महेंद्र कपूर
चित्रपट: उपकार, साल: १९६७, भूमिकाः मनोजकुमार

मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २०१८०१२६ 

धृ

मेरे देश की धरती
सोना उगले
,  उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती
मेरे देश की धरती

माझी देश भूमी ही
सोने उगवे, उगवे हीरे, मोती
माझी देश भूमी ही
माझी देश भूमी ही

बैलों के गले में जब घुँगरू
जीवन का राग सुनाते हैं
गम कोस दूर हो जाता है
खुशियों के कंवल मुसकाते हैं
सुन के रहट की आवाज़े
यूँ लगे कही शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के
दुल्हन की तरह हर खेत सजे

बैलांच्या गळ्यातील जव घुंगरू
जीवन गीतही ऐकवती
दुःख दूर सरे कोसावरती
कमळेही खुशीची फुलताती
ऐकून रहाटांचे रव ते
वाजे गमते कुठं शहनाई
येताच प्रसन्न बहारी ह्या
नवनवरीपरी हर शेत सजे

जब चलते हैं इस धरती पे हल
ममता अंगडाईयाँ लेती है
क्यो ना पूजे इस माटी को
जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिस ने जनम लिया
उसने ही पाया प्यार तेरा
यहा अपना पराया कोई नही
है सब पे माँ उपकार तेरा

चालती जेव्हा नांगर येथे
ममता जणु नाचत येत असे
या मातीला आम्ही का न पुजू
जी जीवन सुखमय हो करते
या धरतीवरी जन्मला जो असे
त्यालाच लाभले प्रेम तुझे
इथे आपला परका कोणी नसे
सर्वांवरी आई उपकार तुझे

ये बाग है गौतम नानक का
खिलते हैं अमन के फूल यहाँ
गाँधी सुभाष टैगोर तिलक
ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
रंग हरा हरीसिंग नलवे से
रंग लाल है लाल बहादूर से
रंग बना बसंती भगतसिंग
रंग अमन का वीर जवाहर से

ही बागच नानक गौतमची
फुलतात इथे शांतीची फुले
गांधी, सुभाष, टागोर टिळक
ही शांतिसुमनेच फुललित इथे
हिरवा हरीसिंग नलव्याचा
रंग लाल लाल बहादुरचा
भगवा भगतसिंगाचा रंग
शांतीचा रंग जवाहरचा