२०२४-०१-०७

गीतानुवाद-२८८: तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा

मूळ हिंदी गीतः मजरूह सुलतानपुरी, संगीतः मदन मोहन, गायकः मोहम्मद रफ़ी
चित्रपटः आंखरी दांव, सालः १९५८, भूमिकाः नूतन, शेखर 

मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २०२४०१०७

 

धृ

तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा
तेरे सामने मेरा हाल है
तेरी इक निगाह की बात है
मेरी ज़िंदगी का सवाल है

तुज काय सांगू मी प्रियतमे
तू अवस्था माझी तर पाहशी
तव दृष्टित येवो मी एकदा
मग जगण्यात अर्थ उरेल ग

मेरी हर ख़ुशी तेरे दम से है
मेरी ज़िंदगी तेरे ग़म से है
तेरे दर्द से रहे बेख़बर
मेरे दिल की कब ये मज़ाल है

तुझा श्वास माझी खुशी असे
तव दुःख जणु मी जगत बसे
तुझे दुःख मुळी नच जाणता
मी जगू शकेन अशक्य हे

तेरे हुस्न पर है मेरी नज़र
मुझे सुबह शाम की क्या ख़बर
मेरी शाम है तेरी जुस्तजू
मेरी सुबह तेरा ख़याल है

तुझ्या रूपावरती माझी नजर
ही सकाळ रात न मज खबर
संध्येस शोधत मी तुला
पहाटे विचार तुझाच ग

मेरे दिल जिगर में समा भी जा
रहे क्यों नज़र का भी फ़ासला
के तेरे बग़ैर ओ जान-ए-जां
मुझे ज़िंदगी भी मुहाल है

तनामनात तू राह ना
नजरेचे अंतरही का उरो
तुजवाचुनी हे प्रियतमे
जगणे माझे अशक्य हे