२०२२-०७-१६

गीतानुवाद-२४९: बेख़ुदी में सनम उठ गए जो क़दम

मूळ हिंदी गीतः अख्तर रोमनी, संगीतः कल्याणजी आनंदजी, गायक: लता, रफी
चित्रपटः हसीना मान जायेगी, सालः १९६८, भूमिकाः शशी कपूर, बबिता, अमित, जॉनी वॉकर

मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २००८०५१० 

धृ

बेख़ुदी में सनम उठ गए जो क़दम
आ गए आ गए आ गए पास हम
आ गए पास हम
बेख़ुदी में सनम उठ गए जो क़दम
आ गए आ गए आ गए आ गए पास हम

लः


रः

भान नव्हते तरी, उचलली पावले
हरखलो, हरखलो, जवळ आलो असे
जवळ आलो असे
भान नव्हते तरी, उचलली पावले
हरखलो, हरखलो, जवळ आलो असे

आग ये कैसी मन में लगी है
मन से बढी तो तन में लगी है
आग नहीं ये दिल की लगी है
जितनी बुझाई उतनी जली है
दिल की लगी ना हो तो क्या ज़िन्दगी है
साथ हम जो चले मिट गए फ़ासले
आ गए आ गए आ गए पास हम
बेख़ुदी में सनम

लः

रः

लः


दो
:

आग कशी ही मनी लागली आहे
मनी वाढली तर तनी लागली आहे
आग नाहीच ही ध्यास मनीचा
शांतवा जेवढा, वाढतो तेवढा
ध्यास मुळीही नसता, काय आयुष्य ते
साथ जे चाललो, दूरता संपली      
हरखलो, हरखलो, जवळ आलो असे
भान नव्हते तरी

खोई नज़र थी सोए नज़ारे
देखा तुम्हें तो जागे ये सारे
दिल ने किए जो दिल को इशारे
मिल के चले हम साथ तुम्हारे
आज ख़ुशी से मेरा दिल ये पुकारे
तेरा दामन मिला प्यार मेरा खिला
आ गए आ गए आ गए पास हम
बेख़ुदी में सनम

रः


लः



दो
:

हरपलेली नजर, देखावे सुप्त ते
पाहिले तुला अन्, सारे जग जागले
हृदयाने केले जे हृदया इशारे
मिळून चालू दोघे चलू सोबतीने
आज खुशीने माझे हृदय हे पुकारे
आधाराने तुझ्या प्रेम हे बघ फुले
हरखलो, हरखलो, जवळ आलो असे
भान नव्हते तरी

दिल की कहानी पहुँची ज़ुबाँ तक
किसको ख़बर अब पहुँचे कहाँ तक
प्यार के राही आए यहाँ तक
जाएँगे दिल की हद है जहाँ तक
तुम साथ दो तो चलें हम आसमाँ तक
दिल में अरमाँ लिए लाखों तूफ़ाँ लिए
आ गए आ गए आ गए पास हम
बेख़ुदी में सनम

लः


रः


लः
दो:

गोष्ट हृदयातली, ओठांवरती आली
कुणा ठाऊकी कुठवर पोहोचेलही ती
प्रीतपांथस्थ हे पावले इथवरी
जाऊ तिथवर जिथे हद्द हृदयाची हो
साथ तू देशी तर येईन आकाशीही मी
अंतराशा घेऊन वादळे साठवून
हरखलो, हरखलो, जवळ आलो असे
भान नव्हते तरी


गीतानुवाद-२४८: हर तरह के जज़्बात का ऐलान हैं आँखें

मूळ हिंदी गीतकारः साहीर, संगीतकारः रवी, गायीकाः लता, मुकेश
चित्रपटः आँखे, सालः १९६८, भूमिकाः माला सिन्हा, धर्मेंद्र 

नरेंद्र गोळे २०१२०४२१

धृ

हर तरह के जज़्बात का ऐलान हैं आँखें
शबनम कभी शोला कभी तूफ़ान हैं आँखें

हर भावनेचा, भावाचा, उच्चार हे डोळे
पुष्पे, कधी अंगार, झंझावात, हे डोळे

आँखों से बड़ी कोई तराज़ू नहीं होती
तुलता है बशर जिसमें वो मीजान हैं आँखें

डोळ्यांहून उजवा नसे तराजूही कुठला
तुळे ज्यात मनुष्य, तुळा तीच हे डोळे

आँखें ही मिलाती हैं ज़माने में दिलों को
अनजान हैं हम-तुम अगर अनजान हैं आँखें

डोळेच गाठ घालती, मनांची संसारी या
अनोळखी सारे, जर अनभिज्ञ हे डोळे

लब कुछ भी कहें उससे हक़ीक़त नहीं खुलती
इनसान के सच-झूठ की पहचान हैं आँखें

ओठ बोलले, तरी सत्य उमगत नाही
मनुष्याच्या सत्याची प्रचितीच हे डोळे

आँखें न झुकें तेरी किसी ग़ैर के आगे
दुनिया में बड़ी चीज़ मेरी जान हैं आँखें

परक्यापुढे अवनत न होवो तुझे डोळे
संसारात थोरच समज, असती हे डोळे

उस मुल्क़ की सरहद को कोई छू नहीं सकता
जिस मुल्क़ की सरहद की निगेहबान हैं आँखें

त्या देशाच्या हद्दीस कुणी स्पर्शू शके ना
ज्या देशाच्या सीमेचे सावध पुरे डोळे