मूळ हिंदी गीतकार: फरुख कैसर, संगीत: जी.एस.कोहली, गायक:
लता, रफी
चित्रपट: शिकारी, साल
१९६३, भूमिकाः अजित, रागिणी, हेलन, मदन पुरी
मराठी अनुवाद: नरेंद्र गोळे २००७०११८
धृ |
चमन के फूल भी तुझ को गुलाब कहते हैं |
र |
उपवनी फुलंही तुलाच गुलाब म्हणतात |
|
नज़र मिला के मेरे दिल की बात पहचानो |
ल |
जुळवून नजर तू जरा, हृदय
माझे जाणून घे |
१ |
साज़-ए-दिल छेड़ दिया है |
ल |
मनाची छेडलिस तार |
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इसी किरण को सनम आफ़ताब कहते हैं |
र |
याच किरणांना प्रिये, लोक सूर्य म्हणतात |
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हमीं नहीं हैं सभी लाजवाब कहते हैं |
ल |
न फक्त मी,
सर्व तुज अनुपमेय
म्हणतात |
२ |
चष्म-ए-हैराँ की कसम |
र |
चकित नजरांची शपथ |
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गजब की बात है ये क्या जनाब कहते है |
ल |
कमालच आहे काय हे मागता आपण |
३ |
आज तक देखी नहीं ऐसी दहकती आँखें |
ल |
आजवर पाहिले ना, हे
असे तेजस डोळे |
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डाल दो आ के इन आँखोंमें छलकती आँखें |
र |
रोखून डोळ्यांत पाहा, तुझे लावुनी डोळे |
|
सम्भल के पीना इसे सब शराब कहते हैं |
ल |
सावरून प्यावे, हिला
जन सुराच म्हणतात |
|
हमीं नहीं हैं सभी लाजवाब कहते हैं |
र |
न फक्त मी,
सर्व तुज अनुपमेय
म्हणतात |
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काय नुसते वाचता प्रतिसाद द्या
हातची राखून द्या पण दाद द्या
आंधळ्यांची दिव्यदृष्टी व्हा तुम्ही
अन् मुक्यांना नेमके संवाद द्या
जीव कासावीस झाला आमुचा
मूळचे नाही तरी अनुवाद द्या
कालची आश्वासने गेली कुठे?
ते पुन्हा येतील त्यांना याद द्या
वेगळे काही कशाला ऐकवा?
त्याच त्या कविताच सालाबाद द्या
एवढा बहिरेपणा नाही बरा,
हाक कोणीही दिली तर साद द्या
गोरगरिबांना कशाला भाकरी?
गोरगरिबांना अता उन्माद द्या
व्हायचे सैतान हे डोके रिते,
त्यास काही छंद लावा नाद द्या
- नामानिराळा, मनोगत डॉट कॉम २००५०६१४
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