मूळ हिंदी गीतः मजरूह सुलतानपुरी,
संगीतः सचिनदेव बर्मन, गायकः आशा, रफ़ी
चित्रपटः बंबई का बाबू, सालः १९६०,
भूमिकाः देव आनंद, कल्पना कार्तिक
मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २०२२१०३१
धृ
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आआ आ आ.. प म ग म रे ग प म ग म आआ आ ... सा नी ध प म ग रे सा नी नी नी ... दीवाना,
मस्ताना, हुआ दिल जाने कहाँ होके बहार आई
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आशा:
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आआ आ आ.. प म ग म रे ग प म ग म आआ आ ... सा नी ध प म ग रे सा नी नी नी ... वेडेखुळे, खुळे, मन झाले जाणे कुठुनशी बहार आली
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१
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तन को मेरे,
छुए लट काली छेड़े लहर,
लहर मतवाली बात कोई अन्जाना दीवाना,
मस्ताना, हुआ दिल जाने कहाँ होके बहार आई
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आशा:
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स्पर्शे तनुस, तनुस लट काळी वेधे लहर, लहर फिरणारी गोष्ट अनोखी पहा ना वेडेखुळे, खुळे, मन झाले जाणे कुठुनशी बहार आली
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२
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ओ हो हो कुछ अनकही कहे,
मेरी चितवन बोले जिया,
लिखे मेरी धड़कन एक नया अफसाना ओ हो हो कुछ अनकही कहे,
मेरे चितवन बोले जिया,
लिखे मेरी धड़कन एक नया अफ़साना
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आशा:
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नाही मुळी, मुळी बोललेली बोले, माझी चाहूल बोले मी अन् लिहे माझे स्पंदन किस्सा एक आगळासा नाही मुळी, मुळी बोललेली बोलते, माझी चाहूल बोले मी अन् लिहे माझे स्पंदन किस्सा एक आगळासा
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३
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दीवाना,
मस्ताना, हुआ दिल जाने कहाँ होके बहार आई ओ ओ ओओ जाने कहाँ होके बहार आई प म ग म रे ग प म ग म आआ आ ... सा नी ध प म ग रे सा नी नी नी ...
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रफ़ी:
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वेडेखुळे, खुळे, मन झाले जाणे कुठुनशी बहार आली ओ ओ ओओ जाणे कुठुनशी बहार आली प म ग म रे ग प म ग म आआ आ ... सा नी ध प म ग रे सा नी नी नी ...
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४
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ओ हो ओ सावन लगा मचल गए बादल देखूँ जिसे,
हुआ वही पागल सावन लगा,
मचल गए बादल देखूँ जिसे,
हुआ वही पागल कौन हुआ दीवाना ... दीवाना,
मस्ताना हुआ दिल दीवाना मस्ताना हुआ दिल जाने कहाँ होके बहार आई आ आ आ ... जाने कहाँ होके बहार आई हो ओओ जाने कहाँ होके बहार आई आ आ आ जाने कहाँ होके बहार आई
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रफ़ी:
आशा: रफ़ी: आशा: रफ़ी: आशा: रफ़ी: आशा:
रफ़ी:
आशा:
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श्रावण आला ढगच आले वाहत पाहू ज्याला येई तोही खुळावत श्रावण आला, ढगच आले वाहत पाहू ज्याला झाला तोही पागल कोण झाला यडापिसा ... वेडेखुळे, खुळे, मन झाले वेडेखुळे, खुळे, मन झाले जाणे कुठुनशी बहार आली आ आ आ ... जाणे कुठुनशी बहार आली हो ओओ जाणे कुठुनशी बहार आली आ आ आ ... जाणे कुठुनशी बहार आली
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काय नुसते वाचता प्रतिसाद द्या
हातची राखून द्या पण दाद द्या
आंधळ्यांची दिव्यदृष्टी व्हा तुम्ही
अन् मुक्यांना नेमके संवाद द्या
जीव कासावीस झाला आमुचा
मूळचे नाही तरी अनुवाद द्या
कालची आश्वासने गेली कुठे?
ते पुन्हा येतील त्यांना याद द्या
वेगळे काही कशाला ऐकवा?
त्याच त्या कविताच सालाबाद द्या
एवढा बहिरेपणा नाही बरा,
हाक कोणीही दिली तर साद द्या
गोरगरिबांना कशाला भाकरी?
गोरगरिबांना अता उन्माद द्या
व्हायचे सैतान हे डोके रिते,
त्यास काही छंद लावा नाद द्या
- नामानिराळा, मनोगत डॉट कॉम २००५०६१४
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