सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
मूळ हिंदी कवीः निदा फाजली
मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २०२४०८२१
धृ |
सफ़र में धूप तो होगी |
वाटेत ऊन तर असेल |
१ |
इधर उधर कई मंज़िल हैं |
इथे तिथे खूप स्थळे आहेत |
२ |
किसी के वास्ते |
कुणासाठी |
३ |
यहाँ किसी को कोई |
इथे कुणी कुणाला |
४ |
यही है ज़िन्दगी |
हेच तर जीवन आहे |
५ |
हर इक सफ़र को है |
प्रत्येक प्रवासाला |
६ |
कहीं नहीं कोई सूरज |
कुठे कुणी सूर्य नाही |