२०२४-०५-०१

गीतानुवाद-२८९: पंछी बनू उडती फिरू

मूळ हिंदी गीतः हसरत जयपुरी, संगीतः शंकर जयकिसन, गायकः लता
चित्रपटः चोरीचोरी, सालः १९५६, भूमिकाः नर्गिस, राज कपूर

 

धृ

पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया के चमन में
हिल्लोरी.. हिल्लोरी, हिलो हिलो हिलो री

पक्षी बनू उडत फिरू मस्त गगनि मी
आज मी स्वतंत्र आहे संसार उपवनी
हिल्लोरी.. हिल्लोरी, हिलो हिलो हिलो री

ओ मेरे जीवन मे चमका सवेरा
ओ मिटा दिल से वो गम का अंधेरा
ओ हरे खेतों में गाए कोई लहरा
ओ यहाँ दिल पर किसी का न पहरा
रंग बहारों, ने भरा, मेरे जीवन में

ओ माझ्या आयुष्यात झाली पहाट
ओ मिटले दुःख, गेली अंधारी वाट
ओ हिरव्या शेतात गातो कुणी वारा
ओ मनावर नाही कुणाचाच पाहरा
रंग बहारींनी, दिला, माझ्या जीवनी

ओ दिल ये चाहे बहारों से खेलूँ
ओ गोरी नदिया की धारों से खेलूँ
ओ चाँद सूरज सितारों से खेलूँ
ओ अपनी बाहों में आकाश ले लूँ
बढ़ती चलूँ, गाती चलूँ, अपनी लगन में

ओ मला वाटे बहारींशी खेळू
ओ शुभ्र नदीच्याही धारेशी खेळू
ओ चंद्र सूर्य आणि तार्‍यांशी खेळू
ओ सारे आकाशच बाहूंत घेऊ
पुढती चलू, गात फिरू, अंतःस्फूर्तीनी

ओ मैं तो ओढूँगी बादल का आँचल
ओ मैं तो पहनूँगी बिजली की पायल
ओ छीन लूँगी घटाओं से काजल
ओ मेरा जीवन है नदिया की हलचल
दिल से मेरे, लहरें उठे, ठंडी पवन में

ओ पदर मेघाचा का मी न ओढू
ओ पायी पैंजण का बिजलीचे घालू
ओ निशेचे हिसकीन काळे मी काजळ
ओ माझे जीवन ही सरितेची सळसळ
उसळवती, मनी लहरी, गार झुळुकी