१.
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आओ
फिर से दिया जलाएँ |
या हो पुन्हा दीप चेतवू |
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१ |
भरी
दुपहरी में अंधियारा |
दिवसा उजेडी अंधःकार |
२ |
हम
पडाव को समझे मंझिल |
मुक्कामच गंतव्य भासले |
३ |
आहुति
बाकी यज्ञ अधुरा |
आहुति बाकी यज्ञ अपुरा |
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जीवन
बीत चला |
जीवनपट मिटला |
१ |
कल
कल करते आज |
नंतर, नंतर
म्हणता गेले |
२ |
हानि-लाभ
के पलडों में |
ताजव्यात नुकसान- |
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हरी
हरी दूब पर |
हिरव्या हरळीवरील |
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१ |
हरी
हरी दूब पर ओस की बूँदें |
हिरव्या हरळीवरचे दव ते |
२ |
क्वाँर
की कोख से फूटा बाल सूर्य |
अरुणकमळ प्राचीवर फुलले |
३ |
सूर्य
एक सत्य है |
सूर्य एक वास्तव आहे ४. |
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गीत नया गाता हूँ |
गीत नवे गातो मी |
१ |
टूटे
हुए तारों से फूटे वासन्ती स्वर |
तुटलेल्या तार्यातून उठे वासंतिक सूर |
२ |
टूटे
हुए सपने की सुने कौन सिसकी? |
तुटलेल्या स्वप्नांची ऐकतं कोण हाक? ५. |
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मोड़ पर |
वळणावर |
१ |
मुझे
दूर का दिखाई देता है |
मला दूरचे दिसते |
२ |
हर
पचीस दिसम्बर को |
दर पंचवीस डिसेंबरला, |
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गीत
नहीं गाता हूँ |
ओठात गाणे येत नाही |
१ |
बेनकाब
चेहरे हैं, दाग बडे गहरे हैं |
बुरखाविरहित चेहर्यांवर, कलंक गहिरे दिसतात |
२ |
लगी
कुछ ऐसी नजर, बिखरा शीशे सा शहर |
अशी ही दृष्ट लागलेली, शहर काचेगत फुटलेले |
३ |
पीठ
में छुरी सा चाँद, राहू
गया रेखा फाँद |
चंद्र पाठीत सुरीसा आहे, राहू आडवा येत आहे |
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जंग
न होने देंगे! |
युद्ध न होऊ देऊ ! |
१ |
कभी
न खेतों में फिर खूनी खाद फलेगी |
रक्त न पुन्हा मिळो भूमीला |
२ |
हथियारों
के ढेरों पर जिनका है डेरा |
शस्त्रागारावर जे बसले |
३ |
हमें
चाहिए शांति, जिंदगी हमको प्यारी |
जीवनशांती आम्हा प्यारी |
४ |
भारत
पाकिस्तान पडोसी, साथ
साथ रहना है |
भारत पाकी शेजारी, धरून राहणे म्हणून जरुरी |
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मौत
से ठन गई! |
काळाशी चकमक झाली! |
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ठन
गई! मौत से ठन गई! |
चकमक झाली! काळाशी चकमक झाली! |
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मौत
से बेखबर, जिन्दगी का सफर |
अनभिज्ञ मृत्यूस, जीवनाची वारी |
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प्यार
इतना परायों से मुझको मिला |
परक्यांचेही मला खूप प्रेम मिळाले, |
९.
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यक्षप्रश्न |
यक्षप्रश्न |
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जो
कल थे, वे आज नहीं है |
काल होते ते आज नाहीत |
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किंतु
न होने के बाद क्या होता है |
पण नसण्यानंतर काय होत असावं? |
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काय नुसते वाचता प्रतिसाद द्या
हातची राखून द्या पण दाद द्या
आंधळ्यांची दिव्यदृष्टी व्हा तुम्ही
अन् मुक्यांना नेमके संवाद द्या
जीव कासावीस झाला आमुचा
मूळचे नाही तरी अनुवाद द्या
कालची आश्वासने गेली कुठे?
ते पुन्हा येतील त्यांना याद द्या
वेगळे काही कशाला ऐकवा?
त्याच त्या कविताच सालाबाद द्या
एवढा बहिरेपणा नाही बरा,
हाक कोणीही दिली तर साद द्या
गोरगरिबांना कशाला भाकरी?
गोरगरिबांना अता उन्माद द्या
व्हायचे सैतान हे डोके रिते,
त्यास काही छंद लावा नाद द्या
- नामानिराळा, मनोगत डॉट कॉम २००५०६१४
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