गीतकार: मजरूह, संगीतः ओ.पी.नय्यर, गायक: रफी
चित्रपटः मेरे सनम, सालः १९६५, भूमिकाः विश्वजीत, आशा पारेख
मराठी
अनुवादः नरेंद्र गोळे २००४०६२४
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धृ
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पुकारता चला हूँ मै
गली गली बहार की
बस एक छॉव जुल्फ की
बस एक निगाह प्यार की
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हाका
करीत, मी चाललो
गल्ली
बोळात, बहारीच्या
केसांची
तव, आरास बस
प्रेमाचा
एक, कटाक्ष बस
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१
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ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की
यही तो बात हो रही है काम की
कोई तो मुढ के देख लेगा इस तरफ
कोई नजर तो होगी मेरे नाम की
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ही
मस्करी, ही ऐट अभिवादनी
होणारी
हीच बात मलाही भावली
कुणी
तरी वळून बघेल इथे जरी
नकळे
कटाक्ष कोणता, मला वरी
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॥
२
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सुनी मेरी सदा तो इस यकीन से
घटा उतर के आ गयी जमीन पे
रही यही लगन तो ऐ दिल-ए-जवाँ
असर भी हो रहेगा इक हसीन पे
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विश्वासुनी
माझ्या हाकेस ऐकता
निशाही
धावली त्वरीत धरेवरी
अशीच
राहिली जरी का भावना
पडेल
प्रभाव मम खचित परीवरी
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