२०१६-०२-०८

गीतानुवाद-०६९ः ज़िंदा हूँ इस तरह

हिंदी गीतः बेहझाद लखनवी, संगीतः राम गांगुली, गायकः मुकेश
चित्रपटः आग, सालः १९४८, भूमिकाः राज कपूर, नर्गिस

मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे

धृ

ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िन्दगी नहीं
जलता हुआ दिया हूँ मगर रोशनी नहीं

जगतो असा मी, नाही मला, दुःख जीवनी
दिप पेटता मी, नाही तया, दीप्ति मुळिही

वो मुद्दतें हुईं हैं किसीसे जुदा हुए
लेकिन ये दिल कि आग अभी तक बुझी नहीं

किती काळ लोटला असे, होउन विलगही
धग अंतरातली न तरी, विझली अजुनही

आने को आ चुका था किनारा भी सामने
खुद उसके पास ही मेरी नैय्या गई नहीं

यावा तर, आलेला हा, किनारा समोरही
पण नाव मात्र माझी, तयापाशी न गेली

होंठों के पास आए हँसी, क्या मज़ाल है
दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं

ओठांवर हसू येईल, तर काय आहे बिशाद
मनाचा हा मामला, न असे मस्करी मुळी

ये चाँद ये हवा ये फ़िज़ा, सब हैं मादमा
जब तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं

हा चंद्र, ही हवा, ही बहार, सर्व धार्जिणे
सता परंतु तू, निरस असे, सारे सारे हे