हिंदी गीतः बेहझाद लखनवी, संगीतः राम गांगुली, गायकः मुकेश
चित्रपटः आग, सालः १९४८, भूमिकाः राज कपूर, नर्गिस
मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे
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धृ
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ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िन्दगी नहीं
जलता हुआ दिया हूँ मगर रोशनी नहीं
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जगतो असा मी, नाही मला, दुःख जीवनी
दिप पेटता मी, नाही तया, दीप्ति मुळिही
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१
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वो मुद्दतें हुईं हैं किसीसे जुदा हुए
लेकिन ये दिल कि आग अभी तक बुझी नहीं
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किती काळ लोटला असे, होउन विलगही
धग अंतरातली न तरी, विझली अजुनही
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२
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आने को आ चुका था किनारा भी सामने
खुद उसके पास ही मेरी नैय्या गई नहीं
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यावा
तर, आलेला हा, किनारा समोरही
पण नाव
मात्र माझी, तयापाशी न गेली
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३
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होंठों के पास आए हँसी, क्या मज़ाल है
दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं
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ओठांवर
हसू येईल, तर काय आहे बिशाद
मनाचा
हा मामला, न असे मस्करी मुळी
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४
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ये चाँद ये हवा ये फ़िज़ा, सब हैं मादमा
जब तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं
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हा
चंद्र, ही हवा, ही बहार, सर्व धार्जिणे
नसता परंतु तू, निरस असे, सारे सारे हे
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