मूळ हिंदी गीतः राजिंदर क्रिशन, संगीतः रवी, गायकः महंमद रफी
चित्रपटः बम्बई का चोर, सालः १९६२, भूमिकाः किशोरकुमार
मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २००७०१२३
है
बहार-ए-बाग-ए-दुनिया चंद रोज
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दुनियेतल्या उपवनी बहर हा चार दिन
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॥धृ॥
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है
बहार-ए-बाग-ए-दुनिया चंद रोज
देख लो इसका
तमाशा चंद रोज
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दुनियेतल्या उपवनी बहर हा चार दिन
पाहून घ्या ह्याची करामत चार दिन
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॥१॥
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लाख दारा और
सिकंदर हो गये
आज बोलो वो
कहाँ सब खो गये
आयी हिचकी
मौत की और सो गये
हर किसी का
है बसेरा चंद रोज
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लाख दारा अन् सिकंदर प्रकटले
आज सांगा, सर्व ते गेले
कुठे
उचकी आली मृत्यूची अन् संपले
हरेकाचा हा निवारा चार दिन
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॥२॥
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कल तलक रंगीं
बहारे थी यहाँ
आज कब रोके
यहाँ देखे निशाँ
रंग बदले हर
घडी ये आसमाँ
ऐसी गम जो
कुछ भी देखा चंद रोज
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कालवर रंगीत बहार होती इथे
आज कुठवर रडत पाहू त्या खुणा
रंग हे आकाश बदले हर घडी
दु:ख ऐसे, पाहता दो चार
दिन
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॥३॥
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क्या मिलेगा
दिल किसी को तोड के
ले दुआ टुटे
दिलों को जोड के
जा मगर कुछ
याद अपनी छोड के
हो तेरा
दुनिया में चर्चा चंद रोज
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लाभ कुठला मोडुनी
मन कुणाचे
तुटल्या जिवांना जोड तू, अन् घे दुवा
जा! परंतु सोड काही याद आपली
होवो तुझी दुनियेत चर्चा चार दिन
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