मूळ हिंदी
गीत: शैलेन्द्र, संगीतकार: शंकर जयकिशन, गायक: लता
चित्रपट: पतिता, साल: १९५३, भूमिकाः
देव आनंद, उषाकिरण
मराठी
अनुवादः नरेंद्र गोळे २०१९०५०५
॥
धृ
॥
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किसी ने
अपना बना के मुझ को
मुस्कुराना
सिखा दिया
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करून
आपली मला कुणीसे
खुशीच्या
वाटा खुणावल्या
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१
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अंधेरे घर
में किसी ने हस के
चिराग जैसे
जला दिया
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उदास
सदनी हसुन कुणीसे
प्रकाश
सारा दुणावला
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२
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शरम के
मारे मैं कुछ ना बोली
नज़र ने
परदा गिरा दिया
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मी
लाजुनी न काही म्हटले
नजर
परंतु फितुरली
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३
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मगर वो
सबकुछ समझ गये हैं
के दिल भी
मैने गवाँ दिया
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तरी
स्वतः ते समजले सगळे
की
मी हृदयहि गमावले
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॥
४
॥
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न
प्यार देखा, न प्यार
जाना
सुनी थी
लेकिन कहानियाँ
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न
प्रेम मी पाहिले, न कळले
परीसलेल्या
परी कथा
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५
॥
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जो ख्वाब
रातों में भी ना आया
वो मुझ को
दिन में दिखा दिया
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जे स्वप्नरातीही
न पाहिले मी
अहो
ते दिसले पहा मला
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॥
६
॥
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वो रंग
भरते हैं जिंदगी में
बदल रहा
हैं मेरा जहाँ
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ते
रंग भरती ह्या जीवनी अन्
विश्व
माझे बदलते हे
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॥
७
॥
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कोई
सितारें लूटा रहा था
किसी ने
दामन बिछा दिया
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कुणीसे
लुटवतहि होते तारे
कुणी
घड्या पायी घातल्या
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