गीतकारः एस.एच.बिहारी, संगीतकारः ओ. पी. नय्यर, गायकः आशा भोसले, मोहम्मद रफ़ी
चित्रपटः कश्मिर की कली, सालः १९६४, भूमिकाः शर्मिला टागोर, शम्मी
कपूर
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धृ
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इशारों
इशारों में दिल लेने वाले
बता ये हुनर
तूने सीखा कहाँ से
निगाहों
निगाहों में जादू चलाना
मेरी जान
सीखा है तुमने जहाँ से
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इशार्या इशार्यांनी मन जिंकणार्या
मला सांग शिकलास तू हे कुठे रे
जादू कटाक्षा कटाक्षांतूनि टाकणे हे
साजणे शिकली आहेस गं तू जिथून
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१
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मेरे दिल को
तुम भा गए
मेरी क्या थी
इस में खता
मेरे दिल को
तड़पा दिया
यही थी वो
ज़ालिम अदा
यही थी वो
ज़ालिम अदा
ये राँझा की
बातें ये मजनू के किस्से
अलग तो नहीं
हैं मेरी दास्तां से
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मला आवडली खास तू
ह्यात माझा गुन्हा कायसा
मला जिने पिडले पहा
लकब तीच ही अप्सरा
लकब तीच ही अप्सरा
ह्या रांझ्याच्या गोष्टी हे मजनूचे किस्से
निराळे तर नाहीत माझ्या कथेहून
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॥
२
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मुहब्बत जो
करते हैं वो
मुहब्बत जताते
नहीं
धड़कने अपने
दिल की कभी
किसी को
सुनाते नहीं
किसी को
सुनाते नहीं
मज़ा क्या रहा
जब की खुद कर लिया हो
मुहब्बत का
इज़हार अपनी ज़ुबां से
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ओ ऽ जे प्रेम करतात ते
प्रेमास ना जतवती
स्पंदने आपली ना कधी
ऐकवत कुणाला नाहीत
ऐकवत कुणाला नाहीत
मजा काय राहिल जर का स्वतःहून कुणी केली
प्रीतीची जर वाच्यता स्वमुखातून
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॥
३
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माना की जान-ए-जहाँ
लाखों में
तुम एक हो
हमारी
निगाहों की भी
कुछ तो मगर
दाद दो
कुछ तो मगर
दाद दो
बहारों को भी
नाज़ जिस फूल पर था
वही फूल हमने
चुना गुलसितां से
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कबूल हे की सजणे मला
तू लाखात आहेस एक
माझ्या परखण्याची परी
काही तर तू दाद दे
काही तर तू दाद दे
बहारीसही गर्व होता फुलावर ज्या
मी त्या फुलासच उचलले ग त्यातून
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