२०१९-०५-०५

गीतानुवाद-१२५: किसी ने अपना बना के



मूळ हिंदी गीत: शैलेन्द्र, संगीतकार: शंकर जयकिशन, गायक: लता
चित्रपट: पतिता, साल: १९५३, भूमिकाः देव आनंद, उषाकिरण

मराठी अनुवादः नरेंद्र गोळे २०१९०५०५


धृ
किसी ने अपना बना के मुझ को
मुस्कुराना सिखा दिया

करून आपली मला कुणीसे
खुशीच्या वाटा खुणावल्या
अंधेरे घर में किसी ने हस के
चिराग जैसे जला दिया

उदास सदनी हसुन कुणीसे
प्रकाश सारा दुणावला
शरम के मारे मैं कुछ ना बोली
नज़र ने परदा गिरा दिया

मी लाजुनी न काही म्हटले
नजर परंतु फितुरली
मगर वो सबकुछ समझ गये हैं
के दिल भी मैने गवाँ दिया

तरी स्वतः ते समजले सगळे
की मी हृदयहि गमावले
प्यार देखा, प्यार जाना
सुनी थी लेकिन कहानियाँ

न प्रेम मी पाहिले, न कळले
परीसलेल्या परी कथा
जो ख्वाब रातों में भी ना आया
वो मुझ को दिन में दिखा दिया

जे स्वप्नरातीही न पाहिले मी
अहो ते दिसले पहा मला
वो रंग भरते हैं जिंदगी में
बदल रहा हैं मेरा जहाँ

ते रंग भरती ह्या जीवनी अन्‌
विश्व माझे बदलते हे
कोई सितारें लूटा रहा था
किसी ने दामन बिछा दिया

कुणीसे लुटवतहि होते तारे
कुणी घड्या पायी घातल्या